संगीत का सफ़र बड़ा सुहाना होता है ।
पर कभी सोचा है कोई सफ़र ऐसा भी हो जो संगीत के लिये हो ?
मैंने सोचा भी है और किया भी है ।
पहले उस सफ़र की बात करते है जिसने मुझे उस सफ़र के लिए प्रेरित किया जो आज भी दिल को संगीतमय कर जाता है ।
दोस्तों के साथ राँची से बैंगलोर तक का सफ़र था ।
मुकेश साहब से लेकर हिमेश तक सबके गानों के cassette walkman के साथ बैग में रखा हुआ था ।
खिड़की वाली सीट पर बैठ कानों में earphone लगा गाने सुनने लगा ।
हर बदलते गाने के साथ एहसास भी बदल रहे थे ।
कोई गाँव की याद दिला रहा था
कोई ममता की छाँव की
तो कोई
पहले प्यार की ।
इस सफ़र को तय किये लगभग सालों निकल गये थे पर खिड़की पे बैठ ट्रेन की आवाज़ और चेहरे को छूकर गुजरती हवा के साथ जो सुकून गाने सुनने में आया वो घर वापस आ खो दिया था मैंने ।
इक शाम सोचा क्यूँ न उस एहसास को आज फिर से जिंदा किया जाये ।
बैग में walkman cassette और CDPlayer डाला …पर्स में कुछ पैसे डाले और चुप चाप मम्मी के पास जाकर बोला kolkata दोस्त पास जा रहा हूँ …आ जाउँगा एक दो दिन में और मम्मी से मिले 200 ₹ भी जेब में डाल सीधा स्टेशन गया …हटिया हावड़ा का general टिकट लिया और किसी तरह खिड़की वाली सीट पर जा कर बैठ गया ।
जैसे जैसे हवा चेहरे को छु कर गुजरती मैं अपनी इस हरकत पे ख़ुश हो रहा था ।
पूरी रात गाने सुनता रहा ।
RafiSahab की आवाज़ उस दिन और ही मन को भा रही थी ।
सुबह कोलकाता घूमने निकल गया ।
कोलकाता की हवाओं में संगीत है ।
उस दिन मालूम हुआ की इसे City Of Joy क्यूँ कहते है ।
रफ़ी साहब के posters ख़रीदे …कुल्हड़ वाली चाय पी…ट्राम पे किशोर दा के गाने सुने…पार्क स्ट्रीट में स्ट्रॉबेरी खाया और गाने सुनता हुआ स्टेशन आ गया ।
रात वापसी की टिकट ली और भीड़ में खड़ा हो गया सीट पाने को ।
फिर गाने सुनते सुनते कब संगीत की गोद में सो गया पता नहीं चला ।
सुबह वापस घर आ कर सोच रहा था की सच मैं सिर्फ गाने सुनने को इतनी दूर चला गया?
संगीत का सफ़र …सफ़र संगीत का दोनों यूँ तो एक ही है पर मेरे लिये एक ऐसी याद जो मुझे हमेशा सुकून पहुँचाती है ।
आज फिर से पढ़ा आपके सफर को और घूम आये हम भी दूर तक आपके साथ
बहुत शुक्रिया आपका ।