बरसों पहले जाना हुआ था गाँव,
मुझे तो सब पहचानते थे पर मेरी यादों में बस कुछ धूमिल चेहरे थे ।
रास्ते का मंदिर जहाँ दिन भर बैठा रहता अब और बड़ा हो गया था ।
मेरी तरह अब भी कुछ बच्चे वहाँ मंदिर के गोल गोल घूम रहे थे ।
जिन कच्ची राहों पे साइकिल चलाना सीखा था अब वो भी चमकने लगी थी ।
जिस आम के पेड़ ने सबसे ज्यादा मेरे पत्थर झेले थे वो मौसम की मार न झेल सका ।
ऐसा लग रहा था सब कुछ एक बार फिर आँखों के सामने से गुजर रहा हो ।
मुझे याद है एक बाबा मेरे घर पर हमेशा बैठे रहते थे । आँखों से दिखना कम हो गया था पर आशीर्वाद हैसियत देख कर नहीं देते थे ।
आँखें घर पहुँचते ही उन्हें ढूँढने लगी । मालूम था वही आशीर्वाद मिलेगा जो रोज़ बचपन में मेरे सर पर हाथ रख दिया करते थे ।
पर वहाँ ना वो थे न उनकी वो खाट जिसके चारों तरफ बच्चों का मेला लगता था ।
मुझे समझ जाना चाहिये था इतने सालों बाद जा रहा तो उन्होंने आशीर्वाद देते हुये दुनिया को अलविदा कहा होगा ।
पर क्यूँ ये ख़याल एक बार भी नहीं आया ?
क्यूँ मुझे लग रहा था वो वहीँ होंगे ?
क्यूँ उस आशीर्वाद को सुनने की चाह थी ?
आँसू पलकों को घेरने लगे……… एहसास सीने में उतरने लगे ।
कई बार ऐसा होता है कि मुद्दतें गुज़र जाती हैं पर दिल में यादों का बसेरा मिटता नहीं…हमारी खातिर वहीं होती हैं..जब भी पीछे मुड़कर देखते हैं हम |
#Abvishu