कह कर की जाओ दुनियादारी के काम संभालों ,
वो रोज़ सुबह सात बजे ख्वाबों में अलविदा कहती है ।
मेरे जागते ही दुखी हो जाता है मोबाइल मेरा
उसे भी तो अब जुदा होना पड़ेगा चार्जर से ।
फिर दोनों साथ सफ़र पे निकल जाते है ज़िन्दगी के ।
उसकी बैटरी भी मेरी थकान के साथ साथ घटती जाती है ।
याद उसे भी आती है मेज पर पड़े चार्जर की ।
याद हमें भी आती है मेज पर रखी उस तस्वीर की ।
शाम होते होते गुस्से से लाल हो जाता है मोबाइल ।
कहता है मैंने खुद में सहेज रखा है उस तस्वीर को
जो मेज पर रखी है ।
तुम क्यूँ मेरी धडकनों को मेज पर छोड़ आये ।
अब वो खफा हो बात भी नहीं कर रहा मुझसे …शायद उसे नहीं पता शाम मुझे भी जल्दी है उस कमरे तक पहुँचने की ।
रात सिरहाने उन दोनों को मिला जब ख्वाबों के तकिये पे सोता हूँ ।
दिलों के तार जोड़ने वो भी चली आती है ।
एक पुरे दिन की थकन,
नींदों में जग कर मिटाता हूँ ।
#Abvishu