तलाश सुकून की !

जाने कितनी बेचैनियाँ साथ ले वो शाम घर आता है |

जाने कितने सपनों को साथ ले वो रात सो जाता है |

 

पर सुकून की खातिर ,

अगले हीं दिन
निकल जाता वह काम पर
पहले की तरह इत्मीनान से ।

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