कन्धों पे बिठा घुमाया जिसने
उन कन्धों का बोझ हल्का कर
शायद जीने की आस बाकी रहे
उन बूढी आँखों मे
मौत पे तो गैर भी कन्धा दे देते है
कन्धों पे बिठा घुमाया जिसने
उन कन्धों का बोझ हल्का कर
शायद जीने की आस बाकी रहे
उन बूढी आँखों मे
मौत पे तो गैर भी कन्धा दे देते है
Poem I wrote for my college life in Bangalore 2 years ago taking inspiration from Coca-Cola Ad
चलो ये दिवाली कुछ अलग तरीके से मनाते है
दो दिये ज्यादा जलाते है
टेंशन मे बैठे चाय दुकान के नाम दो दिये
दो दिये
उन दोस्तों के नाम जो दो बातों मे सब समझ जाये
दो दिये
गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के नाम
दो दिये
HEBBAL वाली ESTEEM मॉल के नाम
अपनी CAUVERY थिएटर के लिए दो
कैंटीन मे अपनी COUPON के लिए दो
हर मस्ती के लिए दो
और
हर पनिशमेंट के लिए दो
FORUM के लिए दो
लेट नाईट CABS के लिए दो
दो दिये पहली CRUSH के नाम
दो दिये BMTC के RUSH के नाम
दो दिये BOOK के लिए
दो हमारे COOK के लिए
दो मेरी KADKI के नाम
दो उस प्यारी LADKI के नाम
दो दिये GM के लिए
MG के लिए दो
HappyDiwali