बचपन कुछ पाने की जिद मे रोता था
जवानी किसी को भुलाने की जिद मे रोता है #Abvishu
बचपन कुछ पाने की जिद मे रोता था
जवानी किसी को भुलाने की जिद मे रोता है #Abvishu
रोज़ सुबह से शाम हवाएं तेरी यादों से गुजर के आती है
फिर शाम साँसों से उतरकर सीने मे बैठ जाती है |
रोज़ सुबह से शाम बादल भी तेरी यादें संजोती है
फिर हर शाम उन यादों को मुझपे बरसा जाती है |
रोज़ सुबह से शाम पंछी भी तेरी यादें चुन के लाती है
फिर हर शाम यादों के साथ मेरे दिल के आशियाने मे लौट आती है |
और हर शाम उन यादों को समेटकर मै बिखर जाता हूँ ||
मेरे खिजा का इसमें क्या दोष जो तुमने रास्ता ही बदल दिया
मंदिर की संगमरमर ने आदत डलवा दी थी चप्पल खोलने की
और उसके घरवाले अनपढ़ समझ बैठे
तेरी यादों से दूर मत कर मुझे ,इससे
तेरी दुनिया बेहतर हो या न हो ,पर
मेरी दुनिया ख़त्म हो जाएगी #Abvishu