जो बाज़ार में बिके ये वो,
झूठ नहीं ।
जिसे पैसों से खरीद लो,
वो ख़ुशी भी नहीं ।
ये इक शायर की दास्ताँ है ।
बिछड़ना ही बस झूठ है ,
और दर्द में ही बसी ख़ुशी है ।।
जो बाज़ार में बिके ये वो,
झूठ नहीं ।
जिसे पैसों से खरीद लो,
वो ख़ुशी भी नहीं ।
ये इक शायर की दास्ताँ है ।
बिछड़ना ही बस झूठ है ,
और दर्द में ही बसी ख़ुशी है ।।