जब भी मुझको लिखना
अपने अरमान लिखना तुम…
तुम्हारे नाम के आगे जो कहा नहीं गया
उसे बोलने का समाधान लिखना तुम…
सब कहते प्यार में उड़ रहा हूँ आजकल
अपने मोहब्बत का आसमान लिखना तुम…
इश्क़ को नादान और दिल को परेशान लिखना तुम ।।
जब बन ही गये हो खुदा मेरे तो
क्यूँ न हर जन्म में मिलते रहने का वरदान लिखना तुम…
मिलूँ तुम्हें ही आँखें भले ही बंद हो जायें
रूह के अमर होने का ऐलान लिखना तुम…
कर खुद को मेरे हवाले
अपनी प्यारी हँसी लिये
खुद को इश्क़ से अंजान लिखना तुम…
जिस पर यकीन ना हो दिल को
मिलने का वो बहाना लिखना तुम…
पढ़ते पढ़ते जहाँ मैं रुक कर मुस्कुरा दूँ
खत में वो अफसाना लिखना तुम…
जो गुजरी है दोनों पे मिल के लौटते वक़्त
दिल का उस जगह पे ठहर जाना लिखना तुम…
जो होता है इश्क़ में मामूली
उसे भी एक नया ज़माना लिखना तुम…
मेरी बातें सुनते सुनते सो जाना वो तुम्हारा
जाग कर फिर मेरे नाम को पुकारना लिखना तुम…
मुझे बिगड़ा बताकर
मेरे बिगड़े बालों का सँवारना लिखना तुम…
जीने का ये बहाना
मेरे मनाना तुम्हारा रूठ जाना
लिखना तुम…
होता था जो सफ़र पे
अच्छे से जाना
और
छोटी छोटी बातों का समझाना लिखना तुम…
वाह बहुत खूब
बहुत शुक्रिया
Waah!! Ghazab ka jeete hain aap, ya yoon kahein ki ghazab kehte hain aap! 🙂
आपकी मेहरबानी
कित्ता..कित्ता प्यारा क्या कहें…हर लफ़्ज़ मे इश्क़ है ..मोहब़्ब़त है..अफ़साना है..वाह छोटे बहुत खूब..👌
बहुत शुक्रिया
Bahot badhiya
अपने लफ़्ज़ों को अपनी उड़ान लिखना तुम
उस आसमाँ के आगे भी एक आसमान लिखना तुम