पता होता की मुमकिन नहीं पर कुछ चाहतें कहाँ जाती दिल से ।
ऐसी ही एक चाहत रोज़ होती की तुमसे मुलाक़ात हो जाये ।
Monday साथ उदासी लेकर आता पर उस रोज़ इक फ़ोन कॉल ने सारे गिले शिकवे दूर कर दिये ।
“कल मिलूँगी तुमसे ठीक “
ऑफिस है ?
है तो पर जब भी बोलोगी आ जाऊंगा ।
मन उस डे सफ़र पे निकल पड़ा उससे पहले की मुलाक़ात की यादों को संजोता ।
सच कहा गया की किसी से इश्क़ हो जाये तो इंसान बेहतर बन जाता ।
मुस्कान चेहरे पे यूँ आ रुकी की जो देखता बोल जाता क्या बात आज बड़े ख़ुश लग रहे हो ।
बात ख़ुशी की थी भी की बात हो गयी उससे और मिलने की चाहत भी कल पूरी हो जायेगी ।
चेहरे पे मुस्कान
बैग में कार्गो जीन्स
और जहन में उसका ख़याल लिये
ऑफिस के लिये निकला ।
मेट्रो में आज सीट की चाहत भी नहीं थी ।
ट्रैफिक को भी गाली नहीं दिया
और ऑफिस भी जल्दी पहुँच गया ।
रोज़ की तरह आज फ़ोन साइलेंट पर नहीं था और चार्ज पे लगा रखा था ।
जितने भी काम मिल रहे थे सब को तुरंत निपटा रहा था और ध्यान फ़ोन पर सारा ।
हर मैसेज पे फ़ोन चेक करता और फिर
“कब तक आओगे”
मैं 12 बजे निकलूँगा ऑफिस से जहाँ बोली हो आ जाऊँगा ।
सर कुछ जरुरी काम आ गया है मुझे 12 बजे निकलना होगा जो भी काम यहाँ का बोल दीजिये अभी जल्दी से कर देता ।।
दिलों की नजदीकियाँ दूरीयाँ कम कर देती ।
कब mall पहुँचा उसके बारे में सोचता पता ही नहीं चला ।
चाहत तो रहती देखता रहूँ पर जब वो देख ले आँखें झुक ही जाती है ।
झुकी नज़रों से उसके पास गया ।
भैया के लिये कुछ खरीद रही थी और जब भी वो नज़रें झुकाती मैं जी भर देख लेता पर फिर थोड़ी देर में लगता की जी तो भरता ही नहीं ।
उसके पीछे चलते चलते इक वक़्त आया जब वो ठीक मेरे आगे थी ।
वो पता नहीं क्या देख रही थी पर मेरी नज़रें उसकी झुकी हुई गर्दन पे आ रुकी थी ।
दिल और हाथ का तालमेल बिगड़ रहा था ।
हाथ उठ रहा था उसके कन्धों तक जाने को
और दिल नासमझ सब समझते हुये रोक रहा था मुझे ।
वो जो अचानक पीछे मुड़ गई हाथ डर कर खुद नीचे हो गये और एक बार फिर गले लगाने की तमन्ना अधूरी रह गई ।
wahhhhhhhh behtreen
शुक्रिया दोस्त
बढ़िया लिखा है विशाल।
लिखते रहिये।
👍👍
जी शुक्रिया ।
ज़रूर
Wah…. Khoobsoorat chote…. Keep it up. God bless you