कन्धों पे बिठा घुमाया जिसने
उन कन्धों का बोझ हल्का कर
शायद जीने की आस बाकी रहे
उन बूढी आँखों मे
मौत पे तो गैर भी कन्धा दे देते है
कन्धों पे बिठा घुमाया जिसने
उन कन्धों का बोझ हल्का कर
शायद जीने की आस बाकी रहे
उन बूढी आँखों मे
मौत पे तो गैर भी कन्धा दे देते है