रोज़ सुबह से शाम हवाएं तेरी यादों से गुजर के आती है
फिर शाम साँसों से उतरकर सीने मे बैठ जाती है |
रोज़ सुबह से शाम बादल भी तेरी यादें संजोती है
फिर हर शाम उन यादों को मुझपे बरसा जाती है |
रोज़ सुबह से शाम पंछी भी तेरी यादें चुन के लाती है
फिर हर शाम यादों के साथ मेरे दिल के आशियाने मे लौट आती है |
और हर शाम उन यादों को समेटकर मै बिखर जाता हूँ ||